मन बेहद
व्यथित है. इस बार जानें क्यों अमरनाथ यात्रा को लेकर बेहद सशंकित था. शायद इसी
वजह से अबकी जाने की कोई तैयारी नहीं की. बाबा की कृपा से अब तक सात बार अमरनाथ
यात्रा कर चुका हूं. पर इस साल मन में लगातार कहीं कुछ खटक रहा था. जम्मू के कुछ
दोस्तों ने पूछा भी कि भाई… अमरनाथ यात्रा
पर नहीं आ रहे? बिना आशंका
जाहिर किए उन्हें बताया कि इस बार बाबा नहीं बुलाए, सो नहीं आए. कई दोस्तों ने यात्रा पर जाने के बारे में
पूछा. सभी को मना कर दिया. जिसने वहां का माहौल पूछने के लिए फोन किया, उन्हें भी ना जाने का ही सुझाव
दिया. कुछ चले गए तो उनके सकुशल लौटने की मन ही मन प्रार्थना करता रहा. आज अमरनाथ
यात्रियों पर हमले की खबर आते ही डर गया. तीन जवानों के जख्मी होने से शुरुआत
होते-होते सात शिवभक्तों की मौत की खबर तक आ गई. आतंकियों की यह खुली चुनौती है. 15 साल के बाद आतंकियों ने फिर से
भोले के भक्तों को ऐलान देकर निशाना बनाया. हमला होने के पहले एक घंटे में ही
जम्मू-कश्मीर सरकार में मंत्री पद पर बैठीं एक मोहतरमा ने कहा कि जिस बस पर हमला
हुआ वो अमरनाथ यात्रा के जत्थे में शामिल नहीं थी. जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी ने
कहा कि हमला अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाकर नहीं किया गया था. जेकेपी ने
बेशर्मी से बाकायदा प्रेस नोट जारी कर अमरनाथ यात्रियों पर हमले की बात खारिज करते
हुए कहा कि हमला पर्यटकों की बस पर हुआ है, जो बालटाल से जम्मू की ओर जा रही थी. न तो किसी
नेता ने, और ना ही किसी
पुलिस अधिकारी ने यह माना कि हमला सुरक्षा में चूक का नतीजा है. भोले के भक्तों की
मौत का आंकड़ा जब बढ़ा तो ‘आदतन’ पीएम नरेंद्र मोदी तक का ट्वीट आ
गया. गृह मंत्रालय को भी कहना पड़ा कि हमला अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाकर किया
गया है. सवाल ये है कि
जब इस बार यात्रा इतने संवेदनशील माहौल में हो रही है, ऐसे में ये बस बालटाल से अनंतनाग
के खन्नाबल तक तमाम सुरक्षा इंतजामों को धता बताते हुए कैसे पहुंच गई? सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए
कह रही कि बस अमरनाथ श्राइन बोर्ड में रजिस्टर्ड नहीं थी. ठीक है, बस रजिस्टर्ड नहीं थी. ऐसी
सैकड़ों बसें रोजाना जाती हैं. लेकिन शाम सात बजे के बाद भी इस बस को किसने बेस
कैंप से निकलने की इजाजत दी? निश्चय ही ये
सब जांच का विषय है. जांच होती रहेगी. जांच का नतीजा भी निकलेगा, जो हम सबको पहले से पता है. हमले के फौरन
बाद उमर अब्दुल्ला ने निंदा करते हुए कहा कि ये आतंकी कश्मीर और कश्मीरियत के
दुश्मन हैं. उन्होंने #NotInMyName लिखते हुए गृहमंत्री को आगाह भी किया कि अब देशभर में
रह रहे कश्मीरियों की सुरक्षा का विशेष तौर पर ख्याल रखा जाए. उनका ये डर भी वाजिब
है. बीते कुछ दिनों से देश में जो ‘क्रिया की प्रतिक्रया वाला चक्र’ चल रहा, वो खतरनाक है. देश में
सांप्रदायिक सद्भाव की जो मजबूत नींव पड़ी है, वो विगत कुछ समय से कमजोर सी होती दिख रही है. पीएम मोदी जी
सिर्फ रटी रटाई लाइनें बोल देने के कुछ हला-भला होने वाला नहीं. ट्वीट करने की
बजाए एक्ट करिए. कश्मीर में आतंकवाद की जड़ों को खाद-पानी देने वाले हाथों को
काटिए. अलगाववादियों के हाथों मत खेलिए. लालू-माया-मुलायम की तरह सैयद अली शाह
गिलानी,
मीरवाइज उमर
फारुक और बिट्टा कराटे को आंखें मत दिखाइये. इनकी गर्दन मरोड़िये. महबूबा मैडम के
साथ राज्य में मिली सियासी ताकत का फायदा उठाइये. अब तो मोसुल भी ISIS से आजाद हो गया. कश्मीर को भी इन
आतंकियों से आजाद कराइये. #Anantnag #AmarnathYatra #kashmiriyat #AmarnathPilgrims #Kashmirx
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