आत्मविश्वास से लबरेज आवाज, आंखों में चमक, बेहिसाब तजुर्बा जिसे बालों की सफेदी बखूबी बयां कर रही थी, चाल धीमी पर सधी हुई, बच्चों को देखते ही ऐसी मुस्कान जो सभी का दिल जीत ले...
ये उस शख्सियत की चंद खासियत है, जिन्हें हम मिसाइलमैन, बच्चों के काका, दूसरे महात्मा और देश के 11वें राष्ट्पति डा. अवुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम के नाम से जानते हैं। गोरखपुर के सेंट जोसेफ स्कूल में 10 फरवरी को कलाम बच्चों से मिलने आए थे। स्कूल के प्रिंसिपल के अनुरोध पर वे मना नहीं कर सके। कैंपस में आसपास के जिलों से कुल 2500 बच्चे आए थे। कुछ के पैरेंट्स भी कलाम के सम्मोहन में बंधे स्कूल खिंचे चले आए थे, बिलकुल मेरी तरह। 3.30 बजे उनके आने का समय था। बच्चे 2.30 बजे से ही अपने काका का गर्मजोशी से इस्तकबाल करने के लिए कतारबद्ध होकर खड़े थे। कलाम ठीक सवा चार बजे कॉलेज कैंपस में दाखिल हुए। उनको देखते ही बच्चों की बांछे खिल गईं। फिर तालियों की गड़गड़ाहट जो शुरू हुई वो पांच मिनट तक कैंपस में गूंजती रही। रेड कारपेट से मंच तक जाते हुए कलाम जितने बच्चों से मिल सकते थे, मिले। किसी के सिर पर प्यार से हाथ फेरा तो किसी से पूछा हाउ आर यू माय डियर ? किसी से हाथ मिलाया तो किसी को दुलारा। कई बच्चों ने तो काका का हाथ यूं पकड़ लिया मानो वे उन्हें छोड़ना ही नहीं चाहते थे। रही सही कसर कैमरामैन और फोटोग्राफर्स पूरी कर रहे थे। भीड़ इतनी थी कि मंच तक पहुंचने में ही पांच मिनट तक लग गए। जब तक कलाम सीट पर नहीं बैठ गए, तब तक तालियां बजती रहीं। यह गूंज बच्चों के उत्साह को बता रही थी।
एक कल्चरल डांस के बाद वेलकम सांग और फिर वह पल आया जिसका सबको इंतजार था। कलाम के माइक संभालते ही लगभग 3000 की भीड़ में ऐसा सन्नाटा छाया जैसे उस कैंपस को पिन ड्ाप साइलेंस जोन घोषित कर दिया गय हो।
हैलो फ्रेंड्स! यह कहकर कलाम बच्चों से मुखातिब हुए। उन्होंने डायस पर आते ही बच्चों से कहा कि वे 40 मिनट लेक्चर देंगे और 40 मिनट बच्चों से सीधे बात करेंगे। बच्चों से पूछा कि आप पहले क्या पसंद करेंगे? लेक्चर या डायरेक्ट कन्वर्सेशन? इससे पहले कि बच्चे कुछ जवाब देते कलाम ने खुद ही कहा वे पहले बच्चों से बात करेंगे। हालांकि बच्चों से बतियाने में काका इतने मशगूल हो गए कि उन्हें समय का ध्यान ही नहीं रहा और वे बिना रूके बिना थके दो घंटे लगातार बोलते रहे।
सबसे पहले उन्होंने बच्चों से पूछा-
- हाउ मेनी चिल्ड्रेन वांट टू बी एन इंजीनियर एंड साइंटिस्ट? जवाब में सभी बच्चों ने हाथ उठाया।
- हाउ मेनी चिल्ड्रेन वांट टू बी ए डाक्टर? अधिकतर बच्चों ने हाथ उठाया।
- हाउ मेनी चिल्ड्रेन वांट टू बी एन आईएएस आर आईपीएस? अधिकतर बच्चों ने हाथ उठाया।
- हाउ मेनी चिल्ड्रेन वांट टू बी ए ग्रेट टीचर? इस बार कुछ कम हाथ उठे।
- हाउ मेनी चिल्ड्रेन वांट टू बी ए पॉलीटीशियन? इस प्रश्न के उत्तर में 2500 बच्चों में सिर्फ दो ने हाथ उठाए।
- फिर पूछा- हाउ मेनी चिल्ड्ेन वांट टू बी ए गुड फार्मर? इस सवाल पर एक भी बच्चा हाथ उठाने का साहस नहीं कर सका। फिर सारे बच्चे एक दूसरे का मुंह ताकने लगे। फिर फुसफुसाहट हुई। कुछ देर की यह फुसफुसाहट एक गंभीर सवाल छोड़ गई।
लेक्चर सेशन में उन्होंने बच्चों को जिंदगी में सफल होने के लिए लक्ष्य निर्धारण, कड़े परिश्रम, किताबें पढ़कर ज्ञान बढ़ाने और समस्याओं से कभी विचलित न होने का मूल मंत्र दिया। उन्होंने बच्चों को कई संकल्प दिलाए। जैसे-
दैट्स नाट मैटर हू आई एम, आई विल, आई विन आई विन.
हर बच्चे को एक पौधा लगाने की नसीहत दी। कहा, बिलियन ट्ी फार बिलियन पीपल। बाद में उन्होंने खुद भी एक पौधा लगाया।
बच्चों और खास तौर पर उनके अभिभावकों से घर में एक लाइब्रेरी बनाने को कहा। उन्होंने अभिभावकों से भी कहा कि उन्हें अब से ही कम से कम 20 किताबों की एक लाइब्रेरी बनानी चाहिए। उनके बच्चों को इस लाइब्रेरी में किताबों की संख्या 200 करनी चाहिए और उनके ग्रांड फादर बनने तक उस लाइब्रेरी में 200 किताबें होनी चाहिए। मतलब पढ़ने और पढ़ाने पर जोर।
उन्होंने बच्चों से कहा कि वे सेवा भी करें। कलाम ने बच्चों को हरदम कुछ नया करने की नसीहत दी। उन्हें क्रिएटिवीटी और करेज का पाठ पढ़ाया।
फिर उन्होंने पांच बच्चों से क्वेश्चन करने को कहा। लेकिन क्वेश्चन करने वाले बच्चों की लाइन लग गई। बच्चे अपनी जगह से ही खड़े होकर सवाल करने लगे। इस पर सभी क्वेश्चन करने वालों को अपने पास बुलाया और सवाल पूछने को कहा। कलाम से प्रश्न करने के लिए बच्चों ने इंटरनेट खंगाल कर उनके बार में कई दिलचस्प जानकारियां इकट्ठी कर रखी थीं।
एक बच्ची का क्वेश्चन सुन कलाम भी कुछ देर सोचने पर विवश हो गए।
बच्ची ने काका से पूछा कि - सर यू आर ए ग्रेट मैन, ए नेशनल हीरो. योर्स जर्नी फ्राम साइंटिफिक इनवेंशन टू नेशन बिल्डिंग. ए स्टेप फ्राम द वर्ल्ड आफ इनवेंशन टू द डेवलपमेंट आफ द नेशन. एस ए स्टूडेंट एस वेल एस एन एडमायरर आफ द ग्रेट साइंटिफिक नेशनल हीरो, हाउ वुड यू लाइक वी चिल्ड्ेन टू आइडलाइज यू? एस ए न्यूक्लियर सांइटिस्ट, प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया आर चिल्ड्ेंस मैन?
खुद को नेशनल हीरो से नवाजे जाने पर वे हंसे और बच्ची को थैंक्यू कहा। फिर कुछ देर सोचने के बाद बड़ी ही सादगी से खुद को एक शिक्षक कहलाना पसंद किया।
इसी प्रकार किसी ने गैलेक्सी के बारे में पूछा तो कोई उनके विजन 2020 के बारे में पूछने लगा। किसी ने न्यूक्लियर पावर के बारे में पूछा तो किसी ने देश में बढ़ते भ्रष्टाचार के बारे में बात की।बच्ची ने काका से पूछा कि - सर यू आर ए ग्रेट मैन, ए नेशनल हीरो. योर्स जर्नी फ्राम साइंटिफिक इनवेंशन टू नेशन बिल्डिंग. ए स्टेप फ्राम द वर्ल्ड आफ इनवेंशन टू द डेवलपमेंट आफ द नेशन. एस ए स्टूडेंट एस वेल एस एन एडमायरर आफ द ग्रेट साइंटिफिक नेशनल हीरो, हाउ वुड यू लाइक वी चिल्ड्ेन टू आइडलाइज यू? एस ए न्यूक्लियर सांइटिस्ट, प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया आर चिल्ड्ेंस मैन?
खुद को नेशनल हीरो से नवाजे जाने पर वे हंसे और बच्ची को थैंक्यू कहा। फिर कुछ देर सोचने के बाद बड़ी ही सादगी से खुद को एक शिक्षक कहलाना पसंद किया।
कलाम को जितनी उत्सुकता से बच्चे सुन रहे थे उतनी ही तल्लीनता से मेरी तरह अन्य पत्रकार बंधु भी उन्हें सुन रहे थे। कार्यक्रम खत्म होने के बाद बच्चों के साथ फोटो सेशन चला। मेरा भी मन कलाम के पास जाकर उनसे मिलने को हुआ, पर भीड़ के चलते यह कसक मन में ही रह गई। अब देखता हूं, कलाम काका को किस शहर में सुनने का मौका मिलता है? फिलहाल उनको पहली बार लाइव सुनकर बहुत रोमांचित हूं। अच्छा लग रहा है। दो और लोगों से मिलने की इच्छा है। पहले अटल बिहारी वाजपेयी और दूसरे इन्फोसिस के संस्थापक नारायणन मूर्ति। देखते हैं कि यह इच्छा कब पूरी होती है?
बहुत बधाई राहुल जी, अच्छा लिखा है।
ReplyDeleteयह फुसफुसाहट एक गंभीर सवाल छोड़ गई। सही बात लिखी है। एक सवाल कलाम साहब और कर सकते थे। कितने लोग पत्रकार बनना चाहते हैं। शायद उसमें भी कोई ही हाथ उठता।
सच कहूं तो मुझे आपसे जलन भी हो रही है। आपने एक युग निर्र्माता को इतने नजदीक से देखा। पता नहीं मैं यह मौका पाउंगा कि नहीं।
Good to see that Rahul is not a baby now. There is flow in your writing. Good punches and above all eyes on surroungs. Keep up my boy. Keep reading and writing. God bless you.
ReplyDeleteRahul babu how are you.
ReplyDeleteKabhi Phone bhi kar liya karo.
Tum to Dhakad likhtey ho yaar, ye mei pehle keh chuka hu par tum to dhakad se bhi dhakad likhne lage.
Maja aaya article parkar.
aapke anubhav padkar bahut achcha laga...aapki kamna jald hi puri ho is hetu shubh kamnaye
ReplyDeletewelcome to my blog :)