Friday, June 30, 2017

GST "बेबी" को बड़ा होने दीजिए, वक्त बताएगा लायक है या नालायक!

1947 में स्वाधीनता के मौके पर रात 12 बजे पार्लियामेंट में जो नेता थे, वे हर दल से थे. लेकिन, आज GST लागू करने के मौके पर पार्लियामेंट में जो जनप्रतिनिधि इकट्ठा हुए, उसमें से विपक्ष (कांग्रेस) नदारद था. उनकी यह गैरमौजूदगी डेमोक्रेसी पर बड़ा सवाल है. जिस सेंट्रल हॉल का प्रयोग ऐतिहासिक मौकों पर राष्ट्रपति की सदारत में होने वाले आयोजनों के लिए होता है, उससे दूरी बनाना कांग्रेस की अदूरदर्शिता तो है ही, भाजपा की भी नाकामी है. इवेंट मैनेजमेंट में माहिर भाजपा ने 1947 के उस गौरवशाली पल को सांकेतिक रूप से दोहराने के लिए रात 12 बजे का वक्त तो चुन लिया लेकिन वो 'भाव' नहीं ला सकी.
देश को दूसरी आजादी दिलाने का दावा करने वाली भाजपा जीएसटी पर भले अपने गाल बजा ले, लेकिन ये सच है कि नोटबंदी की तरह ही इस फैसले पर भी वो सबका साथ नहीं पा सकी. कांग्रेस जहां जीएसटी को ‘प्री मेच्योर डिलीवरी’ कह रही वहीं बीजेपी इसे ‘पोस्ट मेच्योर’ बता रही. फिलहाल प्री हो या पोस्ट डिलीवरी, ‘बेबी’ को बड़ा होने दीजिए. वक्त बताएगा कि ये लायक है या नालायक….