Thursday, December 30, 2010

अमर की घुट्टी के बदले संजय की झप्पी


किसी शख्स की संपत्ति दांव पर लगी हो। कोर्ट ने उसकी संपत्ति कुर्क करने का आदेश जारी कर दिया हो। आदेश पर तामील करते हुए उसके घर और ऑफिस के बाहर पुलिस ने नोटिस चस्पा दिया हो और वह मजे में घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर दूसरे राज्य के लोगों को सब्जबाग दिखा रहा हो, है न कुछ अटपटी सी बात। अपने संजू बाबा कुछ ऐसा ही कर रहे हैं। आज यानी 30-12-2010 को यहां गोरखपुर में सपा से निष्कासित राज्य सभा के सांसद अमर सिंह ने पूर्वांचल स्वाभिमान रैली के पहले चरण का समापन किया। अपनी ताकत का अहसास लोगों को कराने और भीड़ बटोरने के लिए लोगों को गांधीगिरी का संदेश देने वाले संजय दत्त, ‘पूर्व‘ अभिनेत्री जयाप्रदा और भोजपुरी अभिनेता मनोज तिवारी को वे ‘लोकमंच‘ पर लेकर आए। तीनों सितारों ने अमर सिंह के ही कहने पर सपा की लाल टोपी पहनी थी। और जब पार्टी में ही अमर सिंह को हाशिए पर डालते हुए उन्हें पार्टी से बेदखल कर दिया गया तो एक सच्चे मित्र की भांति तीनों ने लाल टोपी उतार फेंकी।
खैर, ये तो पुरानी बात हुई। मुद्दे पर आते हैं। दरअसल ताजा मसला यह है कि हाल ही में पूर्वांचल यात्रा शुरू होने के दौरान एक मंच से अमर सिंह ने यह कहकर कि ‘संजय को अंडरवर्ल्ड से धमकी मिल रही है‘, संजू बाबा को ही मुश्किल में डाल दिया था। तब संजय दत्त ने एक तरह से सौगंध खाते हुए कहा था कि आइन्दा से वे अमर सिंह के साथ कभी सियासी मंच पर नजर नहीं आएंगे। लेकिन आज उन्हें अपने बड़े भाई अमर सिंह को गोरखपुर में एक मंच पर जादू की झप्पी देते हुए देख अचरज हुआ। इसलिए नहीं कि उन्होंने अपनी सौगंध तोड़ दी। बल्कि इसलिए कि एक तरफ मुंबई में शकील नूरानी की शिकायत पर कोर्ट ने उनकी संपत्ति कुर्क करने का आदेश दे दिया और इधर, वे अमर सिंह और पूर्वांचलवासियों को जादू की झप्पी दे रहे हैं। आखिर कौन सी मजबूरी थी कि अमर सिंह के साथ कभी सियासी मंच पर एक साथ न आने की कसम खाने के बाद भी संजय दत्त विशुद्ध राजनीतिक कार्यक्रम में हाजिर हो गए। इस दौरान भी ज्यादातर समय वे अपने मोबाइल में ही व्यस्त रहे। शायद नूरानी की टेंशन उन्हें अंदर ही अंदर खाए जा रही थी। इसी का असर था कि एक बार भी हंसी ने उनके चेहरे पर दस्तक नहीं दी।
संजय वाकई राजनीति में अभी बच्चे ही हैं। मंच पर कुल आठ मिनट के अपने उद्बोधन के दौरान उन्होंने वही बातें कहीं जो अमर ने माइक थमाने से पहले उनके कान में बुदबुदाए थे। अमर सिंह की बातें दोहराने के बाद संजय ने कहा कि गांधीगिरी से ही यहां के लोगों को अलग पूर्वांचल राज्य मिल सकता है। हम-आप लोग संजू बाबा को सिल्वर स्क्रीन पर ही देखना चाहते हैं। वहीं पर वे अच्छे भी लगते हैं, न कि राजनीतिक मंच पर सियासी बोल बोलते हुए।
शायद अमर सिंह ने शकील नूरानी की आफत से बचने के लिए कोई घुट्टी दी होगी। तभी अमर के बुलावे पर मंुबई से फौरन उन्होंने गोरखपुर का रूख कर लिया। आफत टालने का अमर सिंह से आश्वासन मिलने पर संजय ने घुट्टी के बदले झप्पी दी।

दिल--नादां तुझे हुआ क्या है,
आखिर इस दर्द की दवा क्या है।
हम हैं मुश्ताक और वो बेजार,
या इलाही ये माजरा क्या है।।